This is our life
Tuesday, 6 August 2024
ऐसी चाहत का क्या करें........
जवानी जब अपने शुरुवाती दौर में थी तब अक्सर मै सोचता था की काश कोई ऐसी लड़की मेरी ज़िन्दगी में आए जो मुझे और सिर्फ़ मुझे चाहती हो........
जो सोचे तो बस मुझे...............मेरे सिवा जिसे कोई और न भाता हो.............. जो पूरी तरह मेरे रंग में रंगी प्रेम दीवानी हो.......
मगर एक लंबे अंतराल तक ऐसा नही हुआ........मगर ये तमन्ना कभी भी पुरानी नही हुई....... बल्कि वक्त के साथ और गहराती चली गई.....खासकर जब भी कोई ऐसी कहानी पढता या हिन्दी फिल्मो में देखता तो मुझे लगता काश मेरी ज़िन्दगी में भी ऐसा कुछ होता कोई ऐसी लड़की होती जो मुझे बेपनाह मोहब्बत करती...........
मेरे लीये सब कुछ कुर्बान कर सकने की जिसमे हिम्मत होती........ जो बच्चे की तरह मासूम होती..... जो एक आम हिन्दुस्तानी बीवी की छवि हम मर्दों के जेहन में होती है बिल्कुल वैसी ही छवि मेरे भी मन् में हमेशा से थी।
और देखो oमेरे मन् का चाहा पूरा हुआ............. मेरी ज़िन्दगी में वो लड़की आ ही गई जिसका ज़िक्र मै ऊपर कर चुका हूँ......
वो मेरी क्लास फ़ेल्लो है, नाम नही बताऊंगा, लेकिन उसके बारे में ये बता देता हूँ, वो बिल्कुल पागल है............मेरे लिए......
वो मुझे चाहती है.............. बस मुझे.........
इतना प्यार करती है के अकसर मुझे परेशानी में डाल देती है............ कभी - कभी तो लड़कों वाली हरकतें करती है...........
- वो चोरी छुपे अपने मोबाइल से मेरी तस्वीर खिंचती है,
- क्लास में मेरे पास बैठने का मोका ढूँढती है और अक्सर उसमे कामयाब हो जाती है,
- यहाँ तक की अगर मेरे पास वाली कोई सीट खाली न हो तो मेरी कुर्सी के हत्थे पर बैठ जाती है
- हमेशा मुझे अपलक निहारती रहती है
- कई बार तो लेक्चर के दौरान सिरदर्द का बहाना करके पढ़ाई नही करती और मुझे ताड़ती रहती है
- मेरे जन्मदिन पर सबसे पहले विश करती है
- मुझे सबसे महंगा और सबसे अच्छा गिफ्ट देती है
- उस दिन हम ८-१० लड़के-लड़कियों का समूह ट्रेड फेयर गया था उसने वहा मुझे कई चीज़ें खरीद खरीद कर गिफ्ट में दे डाली
- हमेशा मेरे साथ चलने की कोशिश करती है(मै धीरे चलता हूँ तो अपनी चाल धीरे करेगी मै तेज़ चलूँ तो ख़ुद भी तेज़ चल कर मेरे साथ पकड़ती है
- मुझसे बात करने का कोई मोका हाथ से नही जाने देती
- मै किसी भी लड़की से बात करूँ तो उसे बुरा लग जाता है
- गलती मेरी होती है और माफ़ी हमेशा वो मांगती है
- मैंने आजतक उसे कभी फ़ोन या मेसेज नही किया मगर उससने कोई भी दिन ऐसा नही छोड़ा जब मुझे फ़ोन नही किया हो
- मै उसका इतना मजाक उडाता हूँ मगर वो बुरा नही मानती
- कोई मेरे बारे में ज़रा सा भी ग़लत बोल दे उसकी शामत आजाती है
- एक बार मैंने अपनी शादी पक्की होने की झूटी ख़बर फैला दी थी तो उसने दो दिन तक खाना नही खाया था
- वो पहले बस से कॉलेज आती थी मगर मेरे चक्कर में उसने मेट्रो से आना शुरू कर दिया
- हम दोस्तों का समूह जब भी कहीं घूमने जाता है तो हम सब बराबर का खर्चा करतें है और वो हमेशा कोशिश करती है के मै उसके लीये पेमेंट करूँ।
- होता उल्टा है अक्सर मेरा पमेंट भी वही देती है...और जब मै उसके पैसे वापस देता हूँ तो उसे बुरा लगता है...।
- जिस किसी लड़के के बारे में उससे लगता है की वो मेरा दोस्त है उससे ख़ुद भी दोस्ती कर लेती है
- मैंने एक बार बोल दिया था के मुझे लंबे बालों वाली लडकियां पसंद है तो उसने अपनी दो साल पूरानी वो फोटो लाकर दिखाई और इस तरफ़ ध्यान दिलाया के उसके बाल भी कभी लंबे थे
- दिन में कमसे कम ७-८ बार फ़ोन भी वही करती है
- मै कितनी बार उसका फ़ोन नही उठता कई बार काट देता हूँ, दस दस मिनट तक होल्ड करवा देता हूँ मगर उसने कभी बुरा नही माना
- कितनी बार उससे मैंने बार बार फ़ोन करने को लेकर बुरा भला कहा मगरकभी भी फ़ोन करना नही छोडा.
- सरे आम मैंने उसकी इतनी बेईज्ज़ती की है और इतनी बुरी तरह से की है के अगर किसी भी शख्स ने मेरे साथ उसका आता एक प्रतिशत भी किया होता तो मै उसकी कभी शकल तक नही देखता
- मैंने कई बार नोट किया है के वो फ़ोन रखने से पहले चुप चाप use किस करती है
- मै अक्सर त्यौहार के वक्त अपने मोबाइल में मोजूद सभी नंबरों पर एक साथ मुबारकबाद के संदेश भेज देता हूँ, वो न सिर्फ़ पलट कर उसी वक्त उनका जवाब भेजती है बल्कि उसने उन् सभी को संभाल कर रखा हुआ है
- मोका मिलते ही वो मेरे मोबाइल की जांच करती है की किस किस लड़की का उसमे संदेश है कितने बजे आया है क्या लिखा है,मैंने क्या जवाब भेजा है॥
- अपने बैग पर एक बार उसने मेरा नाम लिखा फ़िर बाकी दोस्तों का भी नाम लिख दिया मैंने अपना नाम मिटा दिया तो उसने उस बैग को ही फैंक दिया
- एक और मजेदार घटना है॥ हमारे एक दोस्त के भाई की शादी में जाना हुआ वहा उसकी सेंडल टूट गई मै और एक और दोस्त उसके साथ थी ठीक करवाने बाहर आगये मोची की दूकान पर कोई नही था तो मैंने शरारत में उसकी सेंडल लेकर उसमे कील वघेरा ठोंक कर उसे ठीक कर दिया....उसने उस होता को फ़िर कभी नही पहना और आज तक संभाल कर रखा हुआ है
- एक बार उसकी इन्ही बेवकूफी भरी हरकतों से मै इतना परेशान हो गया के मैंने उसे समझाने की कोशिश करी मगर वही समझना चाहती है जो उसे समझना hota है...
एक दिन मैंने उसे बड़े प्यार से समझाया, उसे बीती घटनाओ वगेहरा का उल्लेख करते हुए बताया के किस तरह उसकी हरकतों की वजह से वो ख़ुद को मजाक का पात्र बनवा चुकी है और मुझे भी काफ़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है..........
इतना सुनते ही वो गुस्से में पैर पटकती हुई वहा से उठ कर बाहर भाग गई.....मैंने रोका तो चिल्लाने लगी...मैंने इसे मोका समझते हुए फायदा उठाया और कह दिया के आज के बाद मुझ से कोई भी सम्बन्ध मत रखना......
थोडी देर बाद उसने फ़ोन किया मगर मैंने नही उठाया....... वो पूरा दिन फ़ोन करती रही.....मेसेज लिख लिख कर माफ़ी मांगती रही...मै उससे पीछा छुडाना चाहता था इसलिए मैंने कोई जवाब नही किया......
रात को करीब दस बजे मैंने अपना फ़ोन साइलेंट किया और सोने चला गया सुबह उठा तो पाया उसकी करीब ७८ मिस्सेड काल्स और ३२ मेसेज थे....मैंने टाइम चेक किया तो मालूम हुआ उसने करीब हर पाँच मिनट के बाद फ़ोन किया और माफ़ी मांगते हुए मेसेज भेज रखे थे....
अगली सुबह मैंने कुछ दोस्तों के साथ लेक्चर बंक किया और पिक्चर देखने चला गया (रब्ब ने बना दी जोड़ी).....
उसे पता नही कैसे पता चल गया और वो वहीं पहुँच गई...और सबको वहा से चले जाने को कहा ..अब्ब वो सब हम दोनों के कोममन फ्रिएंड्स थे तो कुछ- कुछ समझते हुए वहा से हट गए.... उसने मुझसे कहा के तू क्या चाहता है...मैंने साफ़ तोर्र पर कहा के मै तेरे प्रति जवाबदेह नही हूँ.....
और बाकी दोस्तों को अन्दर चलने के लीये कहते हुए वहा से चल दिया....वो पीछे से बोलती रही के मुझे बात करनी है मगर मै अनसुना करके चला गया...
फ़िर कॉलेज की छुट्टिया शुरू हो गई......इसके बाद भी वो अगले कई दिनों तक फ़ोन करती रही मगर मैंने कभी भी बात नही की....
- फ़िर हमारी परीक्षाएं शुरू हो गई...... उस घटना के बाद ये कॉलेज आने का पहला मोका था.....
मै किसी कारन से लेट हो गया था...बाकी दोस्त मेरा इंतज़ार करके परीक्षा भवन में दाखिल होने के लए जाने लगे...उसने साफ़ कह दिया के जब तक मिलन नही आएगा मै नही जाऊंगी....
इतेफाक से उसी वक्त मै वहा पहुँच गया और सब हंसने लगे...उस वक्त तो मै कुछ समझा नही मगर बाद में सब दोस्तों इस बात को बड़े चटखारे लेकर मुझे सुनाया या कहें की छेडा........उस से कुछ कहने की हिम्मत किसी में नही थी क्यूंकि वो खतरनाक तरीके से जवाब देती है....
................ शाम को उसका फ़ोन आया तो मैंने उठा लिया....उसने बड़े ही सामान्ये तरीके से बात करी ....जैसे परीक्षा कैसी रही वगेहरा-वगेहरा,.... जबकि कल तक मैंने उसका फ़ोन नही उठाया था और न ही सुबह उसके शुभ्ह्कामना वाले मेसेज का कोई जवाब दिया था...
फ़िर तो वो रोजाना फ़ोन करने लगी और ऐसे लगा जैसे कुछ हुआ ही नही था....
अभी पिछले दिनों उसका जन्मदिन था...... उसने मुझे सिर्फ़ मुझे ही रिटर्न गिफ्ट दिया और गिफ्ट में उसने दी एक ashtray ....
नो स्मोकिंग के लेबल के साथ.............. ये सोच कर के मै जब भी उस Ash Tray का इस्तेमाल करूँगा तो मुझे याद आयेगा के किसी ने (उसने ख़ुद ने) मुझ से स्मोकिंग छोड़ने को कहा था.................
सच तो ये है के इसका कहना मेरी लीये कोई मायने नही रखता..............
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आज २४ जून २०११, हमारा आखरी एक्साम था और हम सभी सहपाठी पिक्चर देखने गए थे, वो नालायक भी साथ थी,
पिक्चर थी भेजा फ्री-२ और पिक्चर हाल में हमारे समूह के अलावा मुश्किल से ८-१० लोग और होंगे,
हमसभी एक ही लाइन में बैठे थे मगर आगे-पीछे की तमाम सीटें खाली पड़ी थी,
मै पीछे जाकर अकेला बैठ गया, वो कार्टून भी मेरे साथ आकर बैठ गई,
और जान बूझ कर मेरे कंधे पर अपना सिर रखने की चेष्टा करने लगी मै थोडा सा अलग सरक कर बैठ गया, फिर उसने कुर्सी के हत्थे पे मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया,
आगे बैठे सभी दोस्त शरारत में पीछे मुड कर देख रहे थे,
मजाक का दौर चल रहा था,
मगर वो तो मजाक को गंभीरता से लेने पर तुल्ली हुई थी..॥
उसका मेरे बेहद सट कर बेठने का मैंने पहले तो विरोध किया और उससे डांट कर ठीक से बैठने को कहा...
इस से पहले बात और ज्यादा आगे बढ़ती मैं फ़ोन पर बात करने के बहाने बाहर चला गया,
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इस दिन के बाद उसने मुझे मेसेज पर स्पष्ट रूप से love you dear, sweetheart,और पता नहीं क्या क्या लिखना शुरू कर दिया...
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मैंने उसे साफ़ तौर पे कह दिया है के मुझे तुझ से कोई प्यार नहीं,
उसने पूछा के like भी नहीं करता क्या, मैंने कहा बिलकुल भी नहीं,
मगर अभी भी उसके दिमाग का फितूर नहीं गया है,
वो अभी भी मुझे फ़ोन और मेसेज करती रहती है।
Wednesday, 30 June 2021
प्रपंचतंत्र की कथा।। भाग -2
प्रपंचतंत्र की कहानी।। भाग -1
Saturday, 15 May 2021
Pseudo Nationalism
Crisis of Identity
Tuesday, 3 December 2019
अब थकने लगा हूँ
Tuesday, 15 January 2019
इश्क़ हक़ीक़ी
21 दिसम्बर 2018 रात क़रीब 11 बजे विसाल अपनी ख़्वाबगाह में अकेला कभी गुनगुनाता है "...तेरे क़दम मैं चूम-चूम कर, करूँ इश्क़ का रुतबा ऊपर..."
कभी पाकीज़ा फ़िल्म का डायलॉग
"आपके पाँव देखे, बेहद हसीन हैं, इन्हें ज़मीन पे मत रखियेगा, मैले हो जाएंगे"
दोहराता और मुस्कुरा रहा है!
दरअसल आज दफ़्तर में कुर्सी लग जाने से ज़ोया के पाँव में हल्की मोच आ गयी और वो दर्द से बिलबिला उठी, विसाल तुरंत हरकत में आया और उसको कुर्सी पर बैठा कर तेजी से फर्स्ट-एड बॉक्स से दर्द-निवारक स्प्रे ले आया। मोच वाली जगह पर स्प्रे करके अपना हाथ पौंछने वाला तौलिया लपेट कर हल्की मसाज करके उसे आराम पहुंचाने की कोशिश की।।
शाम को ज़ोया दफ्तर से तयशुदा वक़्त पर घर को निकली मगर विसाल को ज़रूरी फ़ाइल निपटाने की खातिर रुकना था।
थोड़ी देर बाद जब दफ्तर से सब लोग चले गए तब विसाल की नज़र अपने तौलिये पर पड़ी जिसे ज़ोया ने जाते वक्त निकाल कर रख दिया था। तौलिया अभी भी पैर में लिपटने वाले अंदाज़ में गोल मुड़ा हुआ था, विसाल उसे उठा कर अपने कुर्सी पर बैठ गया और मुस्कराते हुए उसे देखने लगा उसे अभी भी मुड़े हुए तौलिये में ज़ोया के पाँव होने का एहसास हो रहा था।
फिर जाने उसके जी में क्या आया कि तौलिये को सीने से लगा लिया, फिर उसे खोल कर उस हिस्से को बड़ी शिद्दत से चूमा जहाँ ज़ोया का पांव उसमें लपेटा गया था।
हालाँकि तौलिये से अब स्प्रे की गंध आ रही थी मगर विसाल को ज़ोया के जिस्म की मदहोश कर देने वाली महक का ही एहसास हो रहा था।
उम्र का चौथा दशक आधा पार कर लेने के बावजूद यों नौजवान लौंडो सी इस हरक़त पर खुद विसाल को हंसी छूट गयी मगर फिर भी वो इस पागलपन को कई बार दोहरा गया।।
विसाल को इस वक़्त भी अपनी ही सांसो से ज़ोया की महक महसूस हो रही है।
वो आखिर खुद को रोक नही पाया और ज़ोया के मोबाइल पर मैसेज करके उसके पाँव के दर्द का हाल पूछ ही लिया है।
और रह रह कर चेक कर रहा है कि मैसेज पढ़ा गया है या नही, वो ऑनलाइन आये और इसका मैसेज बिना पढ़े ही छोड़ दे, या देख कर भी कोई जवाब ना दे ऐसे ना जाने कितनी ही संभावनाएं विसाल के जेहन में घुमड़ रही है।
ज़ोया की कदमबोसी का मुक़द्दस ख्याल लिए विसाल नीँद के आगोश में समा रहा है।।।