Saturday, 15 May 2021

Crisis of Identity

इफियालिट्स !! ग्रीक भाषा का शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ है बुरा सपना ….

यूनानी मिथकीय कथाओं में एफियालिट्स नाम के चरित्र का उल्लेख मिलता है!
(300 नामक फ़िल्म जिन्होंने देखी है वो जानते होंगे)

यूनान का राजा लियोनैइड्स बहुत बहादुरी से लड़ने के बाद भी पर्शियन राजा जर्क्सीज से हार जाता है, क्यूंकि एफियालिट्स पर्शियन राजा से जा मिलता है।।

सवाल है की एफियालिट्स पर्शिया के राजा जिसने खुद को देवता घोषित कर रखा था की बंदगी क्यूँ कबूल करता है?

एफियालिट्स एक कुबड़ा और जन्मजात अपरिपक्व शारीरिक कमजोरी वाला व्यक्ति होता है, जिसे अपने समाज में हमेशा तिरस्कार का सामना करना पड़ता है।।

उसे खुद को राष्ट्रवादी सिद्ध करना होता है ताकि पहचाना जा सके समाज में, ये मौका यूनानी साम्राज्य में उसे नहीं मिलता।
तो वो पर्शियन राजा (स्वघोषित देवता) की बंदगी कबूल करके अपनी पहचान बनाने की चेष्टा करता है। 

अपनी मौत से ऐन पहले वो ये स्वीकार करता है की पर्शिया में उसे धन और औरत का सुख मिला और सबसे ज्यादा जरुरी चीज़ जो मिली वो थी 'पहचान' जो यूनान में उसे कभी नहीं मिली। 

मैंने काफी अध्ययन किया और देखा की देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा भी एफियालिट्स की तरह ही हैं।
ये लोग अपने निजी जीवन में उपेक्षित थे, कुंठित थे क्योंकि ये जो होना चाहते थे वो हो नहीं सके कुछ अपनी अक्षमताओं के कारण और कुछ अवसर ना मिलने के कारण, ये लोग भी एक प्रकार से पहचान के संकट से भरा जीवन जी रहे थे जिसे अंग्रेजी में "Crisis of Identity" बोलते हैं।

इनकी इसी कमजोरी को पकड़ कर एक शातिर गिरोह ने 'राष्ट्रवादी' और 'सच्चे हिन्दू' टाइप के Title/ Certificate देने का काम शुरू किया जैसे अंग्रेज़ी हुकूमत 'खान बहादुर' 'राय बहादुर' की पदवी दिया करती थी अपने चाटुकारों को।।

Crisis of Identity से गुज़र रहे लोगो के लिए ये किसी संजीवनी से कम नहीं था उन्होंने इसे हाथो-हाथ लिया और ऐसे खड़ी हो गयी देश में स्वघोषित देशभक्त हिंदुओ की फौज।।

राष्ट्रवादी / सच्चा हिन्दू होने के टाइटल को संभालने के लिए मन की बात करने वालो से लेकर तड़ीपार गुंडे, योगी और साध्वी के छद्मभेषधारी लोग, दिनरात नफ़रत के बीज बोने वाले नौटंकी करने वाले पत्रकारों, फिल्मी लोग यहाँ तक कि देश के समस्त संसाधनों को लूटने पर उतारू चुनिंदा व्यापारिक घरानों तक कि तरफदारी करना आवश्यक बना दिया गया और इन बेचारों ने दिलो जान से ये काम किया और कर रहे हैं।।

राष्ट्रवाद की परिभाषा में इनकी सोच सिकुड़ कर जर्क्सिस जैसे स्वयंभू देवताओं की ग़ुलामी तक सिमट कर रह गयी,

Secularism / Liberalism / Communism जैसी अवधारणाओं को गालियाँ दी जाने लगी क्योंकि इनमें धर्म की दीवारें ढह जाती हैं इसलिए हिंदुत्व (हिन्दू धर्म नहीं) की बेहद संकीर्ण परिभाषा तले अपनी पहचान बनाने की कोशिश जारी है।।

इन सब के मूल में है 'एफियालिट्स' यानी… बुरे स्वप्न सरीखी...कुंठा, मानसिक विकलंगता और पिलपिला अहम जिसे जर्क्सिस जैसे शैतान अपने साम्राज्यवाद के सपनों की पूर्ति के लिए पोषण देते हैं।।

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