अक्सर रात को हम दोस्त उसकी दूकान पर सिगरट पीने जाते थे, उसका नाम तो हमे मालूम नही मगर उसकी दूकान को हम शोरूम कहते थे।
वो करीब पच्चीस साल का लड़का था जो बिहार से दिल्ली आया था और पिछले चार सालो से रोहिणी कोर्ट के बहार अपनी दूकान चला रहा था, जब उसने दूकान शुरू की थी उस वक्त वह खाली ज़मीन थी मगर आज विशालकाय ईमारत में अदालत चल रही है।
एक दफे ऐसा हुआ के हम दोस्त वहा कई दिनों तक नही गए, फ़िर एक दिन मेरा वह से गुज़रना हुआ तो मुझे देख कर वो बड़ा खुश हुआ और पूछने लगा के अब हम वह क्यों नही आते, उसे हमे सामान बेचने से ज़्यादा हमारी शरारत भरी बातों में मज़ा आता था।
वो बड़ा शरीफ और खुशदिल इंसान था, हम उसकी दूकान को अपनी समझते और कुछ भी उठा लेते वो बुरा नही मानता था, उसे हम पर पूरा विश्वास था। उसने कई बार हमे उधार में सामान भी दिया था।
पिछले दिनों किसी ने उसकी हत्या कर दी जब वो रात को घर जा रहा था।
जब हमे उसकी मौत की ख़बर मिली तो हम उसकी बंद दूकान पर गए और कुछ देर वहा खामोशी से बैठे रहे,
हमारा वो प्यारा दोस्त....हमारी बातों में रस लेने वाला वो चौरसिया खो गया...............
No comments:
Post a Comment